बजट आया पर हाथ कुछ न आया
देश में जब – जब भी बजट आता है तब – तब आम जन में बजट को लेकर एक नई उम्मीदें जाग उठती हैं। सबसे ज्यादा उम्मीदें वेतन भोगियों की होती हैं जिसकी सकल आय सबसे ज्यादा कर के दायरे में आती हैदेश का वेतन भोगी ही अन्य वर्गों की अपेक्षा सर्वाधिक रूप से कर चकाता है। वह कर बचाने के लिये अपनी सकल आय का अधिकांश हि…
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आखिर अराजकता कब तक?
दिल्ली का शाहीन बाग चर्चा में है। यह वह क्षेत्र है जहां आधे से कम ही मुस्लिम आबादी है लेकिन उनकी मनमानी के कारण न केवल उस क्षेत्र के बल्कि राजधानी के लाखों लोग व वाहन इस मार्ग से नहीं गुजर सकते क्योंकि इस मार्ग पर सीएए के विरोध में धरना जारी है। वहां के निवासी परेशान हैं। उनके लिए नौकरी पर जाना, बच…
भयावह है अमीर-गरीब के बीच बढ़ती खाई
अमीर और ज्यादा अमीर होते जा रहे हैं और गरीब और ज्यादा गरीब यह एक घिसा-पिटा जुमला है जो अनगिनत बार भाषणों में हम सुन चुके हैंअब यह बोरियत पैदा करता है लेकिन हकीकत यह है कि यह जमला सोलह आने सही है। भारत में अमीर और गरीब के बीच बढ़ती खाई ज्यादा गहरी हो गई है। आज देश की आधी संपत्ति देश के चंद अमीरों की…
आमची मुम्बई, आमची नाइट लाइफ
महाराष्ट्र की उद्धव सरकार ने मुम्बई को और जिंदादिल बनाने के लिए 'नाइट लाइफ' की शुरुआत की है यानी 'आमची मुम्बई , आमची नाइट लाइफ' मुम्बई वैसे भी दिन-रात चलती है। सरकार के इस फैसले के बाद और गति आएगी लेकिन चुनौतियां भी बहुत होंगी। सरकार को बेहद सतर्क रहना होगामहिलाओं की सुरक्षा को लेकर…
भारत में ई-बाजार के खिलाफ बढ़ता गुस्सा !
भारत में ई- बाजार तेजी से बढ़ रहा है जिसकी वजह से कुटीर और ट्रेडिशनल बाजारों में गिरावट देखने को मिल रही है। अर्थव्यवस्था में बाजार एक अहम कड़ी हैं लेकिन इसका विकेंद्रीकरण हो चला है। यूं कहें तो ग्लोबल दुनिया में पूरा बाजार मुट्ठी में हो गया है। अब भोजन से लेकर जीवन की आडर्न और माडर्न…
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कैमरे के सामने मैं बस एक किरदार होती हूं – विद्या बालन
विद्या बालन, इन दिनों देश की जानी मानी गणितज्ञ रह चुकी शकुंतला देवी की बायोपिक 'शकुंतला' की शूटिंग में बिजी हैंइसमें वह मुख्य भूमिका निभा रही हैं। शकुंतला देवी बेंगलुरू के एक रूढ़िवादी कन्नड़ ब्राम्हण परिवार की लडकी थीं। उनके पिता सर्कस में काम करते थे।  पहली बार इस देश को शकुंतला की प्रत…
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